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मां का सम्मान ।

माँ का सम्मान *एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 98% अंक प्राप्त किए । पिता ने मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 98% अंक मिले हैं ..!* *माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बोली, "..मुझे भी बताइये, देखती हूँ...!* *इसी बीच लड़का फटाक से बोला... "बाबा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?... क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है ...!"* *अश्रुपुर्ण आँखों को पल्लु से पोंछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई ।* *ये बात पिता ने तुरंत सुनी ...! फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा, और कहा... "हां रे ! वो भी सच है...!* *जब तू गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था, उसने तुझे स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया ...क्योंकि वो अनपढ़ थी ना ...!* *तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना होता था, इसलिए वह सुबह पांच बजे उठकर तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और डिब्बा बनाती थी.....क्योंकि वो अनपढ़ थी ना ...!* *जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व कि...
बहुत ही मार्मिक कहानी है, थोड़ा समय निकाल कर जरूर पढ़ें। पति-पत्नी रोज साथ में तय समय पर एक ही ट्रेन में सफर करते थे। एक युवक और था, वो भी उसी ट्रेन से सफर करता था, वो पति-पत्नी को रोज देखता। ट्रेन में बैठकर पति-पत्नी ढेरों बातें करते। पत्नी बात करते-करते स्वेटर बुनती रहती। उन दोनों को जोड़ी एकदम परफेक्ट थी। एक दिन जब पति-पत्नी ट्रेन में नहीं आए तो उस युवक को थोड़ा अटपटा लगा, क्योंकि उसे रोज उन्हें देखने की आदत हो चुकी थी। करीब 1 महीने तक पति-पत्नी ने उस ट्रेन में सफर नहीं किया। युवक को लगा शायद वे कहीं बाहर गए होंगे। एक दिन युवक ने देखा कि सिर्फ पति ही ट्रेन में सफर रहा है, साथ में पत्नी नहीं है। पति का चेहरा भी उतरा हुआ था, अस्त-व्यस्त कपड़े और बड़ी हुई दाढ़ी। युवक से रहा नहीं गया और उसने जाकर पति से पूछ ही लिया- आज आपकी पत्नी साथ में नहीं है। पति ने कोई जवाब नहीं दिया। युवक ने एक बार फिर पूछा- आप इतने दिन से कहां थे, कहीं बाहर गए थे क्या? इस बार भी पति ने कोई जवाब नहीं दिया। युवक ने एक बार फिर उनकी पत्नी के बारे में पूछा। पति ने जवाब दिया- वो अब इस दुनिया में नहीं है, उसे कैंसर था।...
इसे कहते है कसक ओर चाहत ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकिट नही मिला तो जर्नल डिब्बे में ही बैठना पड़ा। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था। जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते । वो आया और मेरे पास ही खाली जगह पर बैठ गया। ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की दूरी बना कर चुप चाप पास आकर बैठ गया। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गया था। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी कमबख्त वैसा का वैसा ही था। हां कुछ भारी हो गया था। मगर इतना ज्यादा भी नही। फिर उसने जेब से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गया। चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। चेहरे पर और सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही दिखे। मैंने जल्दी से सर पर साड़ी का पल्...
एक बडी कंपनी के गेट के सामने एक प्रसिद्ध समोसे की दुकान थी, लंच टाइम मे अक्सर कंपनी के कर्मचारी वहाँ आकर समोसे खाया करते थे। एक दिन कंपनी के एक मैनेजर समोसे खाते खाते समोसेवाले से मजाक के मूड मे आ गये। मैनेजर साहब ने समोसेवाले से कहा, "यार गोपाल, तुम्हारी दुकान तुमने बहुत अच्छे से maintain की है, लेकीन क्या तुम्हे नही लगता के तुम अपना समय और टैलेंट समोसे बेचकर बर्बाद कर रहे हो.? सोचो अगर तुम मेरी तरह इस कंपनी मे काम कर रहे होते तो आज कहा होते.. हो सकता है शायद तुम भी आज मैंनेजर होते मेरी तरह.." इस बात पर समोसेवाले गोपाल ने बडा सोचा, और बोला, " सर ये मेरा काम अापके काम से कही बेहतर है, 10 साल पहले जब मै टोकरी मे समोसे बेचता था तभी आपकी जाॅब लगी थी, तब मै महीना हजार रुपये कमाता था और आपकी पगार थी १० हजार। इन 10 सालो मे हम दोनो ने खूब मेहनत की.. आप सुपरवाइजर से मॅनेजर बन गये. और मै टोकरी से इस प्रसिद्ध दुकान तक पहुँच गया. आज आप महीना ५०,००० कमाते है और मै महीना २,००,००० लेकिन इस बात के लिए मै मेरे काम को आपके काम से बेहतर नही कह रहा हूँ। ये तो मै बच्चों के कारण कह रहा हूँ। ...
एक_अंधा... भीख मांगता हुआ राजा के द्वार पर पंहुचा। राजा को दया आ गयी ,,राजा ने मंत्री से कहा ,- "यह भिक्षुक अंधा है , यह ठीक हो सकता है , इसे राजवैद्य के पास ले चलो।" रास्ते में मंत्री कहता है , "महाराज यह भिक्षुक शरीर से हृष्ट-पुष्ट है , यदि इसकी रोशनी लौट आयी तो इसे आपका सारा भ्र्ष्टाचार दिखेगा , आपकी शानो शौकत और फिजूलखर्ची दिखेगी। आपके राजमहल की विलासिता और राज निवास का अथाह खर्च दिखेगा , इसे यह भी दिखेगा कि जनता भूख और प्यास से तड़प रही है , सूखे से अनाज का उत्पादन हुआ ही नहीं , और आपके सैनिक पहले से चौगुना लगान वसूल रहे हैं। शाही खर्चे में बढ़ोत्तरी के कारण राजकोष रिक्त हो रहा है , जिसकी भरपाई हम सेना में कटौती करके कर रहे हैं , इससे हजारों सैनिक और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं। ठीक होने पर यह भी औरों की तरह ही रोजगार की मांग करेगा और आपका ही विरोधी बन जायेगा। मेरी मानिये तो... यह आपसे मात्र दो वक्त का भोजन ही तो मांगता है। इसे आप राजमहल में बैठाकर मुफ्त में सुबह-शाम भोजन कराइये , और दिन भर इसे घूमने के लिए छोड़ दीजिये। यह पूरे रा...

मिलन जुदाई का संगम

मिलन / जुदाई का संगम हमारे एक पडोसी थे जिनको हम मिस्टर शर्मा के नाम से पुकारते थे। वह बहुत ही मिलनसार और हंस मुख व्यक्ति थे। सब का काम करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उनकी श्रीमती जी बड़े धार्मिक विचारों की हंस मुख महिला थी। वह एक सरकारी स्कूल मे अध्यापिका के पद पर कार्य रत थी और उनके पति मिस्टर शर्मा सरकारी कार्यालय में लिपिक के पद पर कार्य रत थे उनकी शादी हमारी शादी के 1 वर्ष उपरांत हुई थी। शादी के उपरांत उनके चार बच्चे हुए उन्होंनो अपने 4 बच्चों 3 लड़कों और 1 लड़की का पालन पोषण बहुत ही भली भांति किया। उन्हें पढ़ाने लिखाने मे अपनी जिंदगी की जरूरतों का कभी भी ख्याल नहीं किया। सदैव ही अपनी बच्चों की जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए अपनी दोनों की कमाई का अधिकतम हिस्सा खर्च करने में कभी भी कंजूसी नहीं की। बच्चे भी बड़े आज्ञा कारी थे और पढ़ाई मे बहुत होशियार थे। 1 लड़का डॉक्टर बन गया, 1 लड़का इंजीनियर,1 लड़का चार्टेर्ड अकाउंटेंट और लड़की भी डॉक्टर बन गई। अब सभी बच्चों की शादी उनकी मन पसंद के जीवन साथी के साथ बड़ी धूम धाम से कर दी। अपनी जीवन भर की जमा पूंजी और सेवा निवृति के ...

पोहे की इज्जत यदि कोई करता है तो इंदौर वाले ! ऐसी भयंकर इज्जत तो ये अपोहे की इज्जत यदि कोई करता है तो इंदौर वाले !

पोहे की इज्जत यदि कोई करता है तो इंदौर वाले ! ऐसी भयंकर इज्जत तो ये अपोहे की इज्जत यदि कोई करता है तो इंदौर वाले ! ऐसी भयंकर इज्जत तो ये अपने बाप के अलावा और किसी की नही करते ! ऐसे पोहाखोर मैंने पूरे हिंदुस्तान मे कहीं नहीं देखे ! क्वांटिटी का पक्का तो पतापने बाप के अलावा और किसी की नही करते ! ऐसे पोहाखोर मैंने पूरे हिंदुस्तान मे कहीं नहीं देखे ! क्वांटिटी का पक्का तो पता नही पर रोज आठ दस क्विंटल पोहे का भोग लगा लेते हो ये लोग तो कोई बड़ी बात है नही ! अव्वल ऐसा तो होता नहीं पर खुदानाखास्ता यदि कोई अभागा इंदौरी किसी दिन पोहा ना खा पाये तो वह उस दिन को अपनी ज़िंदगी में शामिल ही नहीं करता ! वो शनि का प्रकोप समझता है इसे और हनुमान मंदिर में जाकर गिर पड़ता है ! वो बिना नागा ,बिना भूख लगे ,बिना सोचे विचारे उसी तरह पोहा खाता है जैसे आप साँस लेते हैं ! इंदौरी सोता जागता ही पोहे के साथ है ! केवल पोहे पर ज़िंदा रह सकता है वो ! यदि उसे पता चले कि घर में पोहा ख़त्म हो गया है तो उसे यह दुनिया के ख़त्म होने जैसा लगता है ! यदि उसे खबर हो कि लड़ाई छिड़ गई है पडौसी देश से और बम गिरने का अंदेशा है तो ...